केंद्र सरकार ने कोविड-19 से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के भारी-भरकम पैकेज का जो ऐलान किया था, उसमें से करीबन 13 लाख करोड़ रुपए की राहत दी जा चुकी है। इसमें करीबन 5.60 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को किया। जबकि बाकी का पैकेज पहले ही आरबीआई और सरकार ने दे दिया था।
पावर सेक्टर और एमएसएमई पर फोकस
बुधवार को जारी पैकेज में वित्तमंत्री ने टीडीएस के तहत 55000 करोड़ रुपए की सुविधा का ऐलान किया तो पीएफ के जरिए 25,000 करोड़ रुपए की सुविधा दी। इसी तरह पावर सेक्टर की कंपनियों के लिए 90,000 करोड़ रुपए का ऐलान किया गया है। जबकि एनबीएफसी के लिए 30,000 करोड़ रुपए और एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपए के भारी भरकम पैकेज की घोषणा की गई है।
आरबीआई ने दो टीएलटीआरओ को जारी किया
इससे पहले करीबन 7 लाख करोड़ रुपए के पैकेज जो जारी किए गए थे उसमें सरकार ने 1.70 लाख करोड़ रुपए का पैकेज जारी किया था। इसके अलावा 15 अप्रैल को टीएलटीआरओ एक के तहत आरबीआई द्वारा एक लाख करोड़ रुपए का फंड जारी किया गया। इसके तहत बैंकों को कॉर्पोरेट बांड में निवेश करने के लिए दिया गया। इसके पीछे उद्देश्य कैश के संकट को खत्म करना था।
50,000 करोड़ रुपए की रीफाइनेंस सुविधा दी गई
17 अप्रैल को आरबीआई ने टीएलटीआरओ दो के तहत 50,000 करोड़ रुपए की सुविधा दी। जबकि इसी दिन 50,000 करोड़ रुपए की स्पेशल रीफाइनेंस की सुविधा सिडबी, नाबार्ड, एनएचबी आदि के लिए दी गई। आरबीआई ने मार्च अप्रैल के दौरान एक लाख करोड़ रुपए की सुविधा दी। दो वेरिएबल रेट रेपो के तहत 500 अरब रुपए की लिक्विडिटी की भी सुविधा प्रदान की गई।
20 करोड़ महिलाओं के जनधन खाते में डाला गया पैसा
20 मार्च को 100 अरब रुपए का सरकारी बांड आरबीआई ने खरीदा, जिससे यह भी लिक्विडिटी को आसान बनाने में काम आया। हालांकि इसी दौरान आरबीआई ने बैंकों द्वारा दिए जानेवाले डिविडेंड को भी रोक कर कुछ पैसे बैंकों के पास रख दिए। प्राइमरी बांड अंडरराइटर को 10 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ाया गया था। 30 हजार करोड़ के ओएमओ की खरीदारी की गई। 16 दिन के वेरिएबल रेट रेपो पर एक ट्रिलियन रुपए जारी किया गया था। इसके अलावा सरकार ने 80 करोड़ लोगों को 5-5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो दाल दिया। जबकि 20 करोड़ महिलाओं के खाते में 500 रुपए महीने दिए गए जो जून तक जारी रहेगा।
हेल्थकेयर के लिए जारी किए गए थे 15,000 करोड़ रुपए
50 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस भी इसी दौरान प्रदान किया गया। इसके अलावा हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के लिए 15,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था। UBS की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च के आखिरी हफ्ते से आज तक RBI ने लिक्विडिटी सपोर्ट में करीब 5.2 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इस तरह से देखा जाए तो 20 लाख करोड़ के पैकेज का करीबन 13 लाख करोड़ रुपए जारी हो चुका है।
15 हजार से कम सैलरी वालों का EPF देगी सरकार, TDS में 25% कटौती की घोषणा; जानिये इसका फायदा किसे, कितना, कब और कैसे मिलेगा?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कोविड-19 के 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के ब्रेकअप की जानकारी दे दी। इस पैकेज के तहत पीएफ फंड को लेकर एम्प्लॉई और एम्प्लॉयर दोनों को रहत दी हैं। इसके तहत सभी फर्म और कंपनियां जहां 100 से कम कर्मचारी काम करते हैं और उनकी सैलरी 15 हजार से कम है, तो उनके पीएफ का पैसा सरकार देगी। इसके अलावा सरकार ने टीडीएस में भी 25 प्रतिशत की कटौती की है।
15 हजार की सैलरी वालों को 3 महीने की मदद
सभी फर्म और कंपनियां जहां 100 से कम कर्मचारी काम करते हैं और उनकी सैलरी 15 हजार से कम है, तो उनके पीएफ का पैसा सरकार देगी। ऐसे कर्मचारियों की सैलरी का 24% हिस्सा सरकार उनके पीएफ में जमा करेगी। सरकार ने ईपीएफ कंट्रीब्यूशन को तीन महीने के लिए आगे बढ़ाया, अब अगस्त तक ईपीएफ में सरकार मदद करेगी।
पीएफ-ईपीएफ: कंपनियां पीएफ में हिस्सेदारी 12% की जगह 10% तक कर सकेंगी
सरकार पीएफ कंट्रीब्यूशन को 12% से घटाकर 10% करने का फैसला किया है। यह तीन महीने के लिए होगा। हालांकि, केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारियों का पीएफ 12% ही कटता रहेगा। यह उन कर्मचारियों के लिए रहेगी, जो गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत नहीं आए हैं। इससे करीब 4.3 करोड़ कर्मचारियों को फायदा होगा। इससे कर्मचारियों और कंपनियों को 6750 करोड़ अतिरिक्त रुपए मिलेंगे।
टीडीएस रेट में 25% की कमी, 55 हजार करोड़ का फायदा होगा
- टीडीएस की दरों में 25% की कमी की जाएगी। यह सभी पेमेंट पर लागू होगा चाहे वह कमीशन हो, ब्रोकरेज हो या कोई अन्य पेमेंट।
- दरों में कमी 13 मई से लागू होगी और मार्च 2021 तक रहेगी। टीडीएस कटौती से 55 हजार करोड़ रुपए का लाभ होगा।
- 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न की आखिरी तारीख बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दिया गया है।
क्या है टीडीएस?
अगर किसी की कोई आय होती है तो उस आय से टैक्स काटकर अगर व्यक्ति को बाकी रकम दी जाए तो टैक्स के रूप में काटी गई रकम को टीडीएस कहते हैं। सरकार टीडीएस के जरिए टैक्स जुटाती है। यह अलग-अलग तरह के आय स्रोतों पर काटा जाता है जैसे सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन आदि पर। कोई भी संस्थान (जो टीडीएस के दायरे में आता है) जो भुगतान कर रहा है, वह एक निश्चित रकम टीडीएस के रूप में काटता है।
सरकार ने डिस्कॉम को 90 हजार करोड़ रुपए का पैकेज दिया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुश्किल हालातों से गुजर रहीं राज्यों की पावर जनरेटिंग कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए 90,000 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया। लेकिन इस पैकेज को कैसे दिया जाएगा? कब दिया जाएगा? किसे दिया जाएगा? हम इसे समझने की कोशिश करते हैं।
- क्या मिलेगा?
पैकेज के बावजूद डिस्कॉम करीब चार हजार करोड़ रुपए के घाटे में रहेंगी
पिछले कुछ समय में पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियां यानी डिस्कॉम के रेवेन्यू में काफी कमी आई है। सरकार के 90 हजार करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज से डिस्कॉम को फायदा मिलेगा। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिजली कंपनियां पहले से बहुत ज्यादा गहरे संकट में हैं। बिजली कंपनियों का डिस्कॉम पर 94,000 करोड़ रुपए का बकाया है। यानी इस पैकेज के बावजूद डिस्कॉम करीब चार हजार करोड़ रुपए के घाटे में रहेंगी।
- किसे मिलेगा?
पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन डिस्कॉम को फायदा होगा
पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन डिस्कॉम कंपनियों को यह मदद मिलेगी। दरअसल, पिछले दोनों लॉकडाउन, कोरोनावायरस आदि के चलते बिजली वितरण कंपनियों की आय में भारी कमी आई है। इसके चलते बिजली उत्पादन और वितरण करने वाली कंपनियों के लिए यह प्रावधान किया गया है।
90 हजार करोड़ रुपए सरकारी कंपनियों पीएफसी, आरईसी के माध्यम से दिया जाएगा। इससे राज्य सरकारें इन कंपनियों को काम की गारंटी भी दे सकेंगी। कॉन्ट्रैक्टर को 6 महीने की राहत बिना किसी शर्त के दी जाएगी। सीतारमण ने कहा कि डिस्कॉम अभी आसाधारण कैश फ्लो के प्रवाह से गुजर रही हैं। ऐसे में इन्हें मदद की जरूरत है। हम चाहते हैं कि यह फायदे कंज्यूमर्स तक सीधे पहुंचे।
- क्यों मिलेगा?
पॉवर जेनरेशन कंपनियों, ट्रांसमिशन कंपनियों, निजी कंपनियां को पेमेंट किया जा सके
अभी डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों को पावर जनरेशन कंपनियों और ट्रांसमिशन कंपनियों को 94 हजार करोड़ रुपए चुकाने हैं, लेकिन उनके पास पैसे की कमी है। इस एक बार के लिक्विडिटी इन्फ्यूजन से सेंट्रल पब्लिक सेक्टर की पॉवर जेनरेशन कंपनियों, ट्रांसमिशन कंपनियों, निजी कंपनियां और रिन्यूवल एनर्जी जेनरेटर्स को पेमेंट किया जा सकेगा। राज्य सरकारों द्वारा संचालित पीएफसी और आरईसी के पास छह लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है। ये पॉवर सेक्टर की सबसे बड़ी कर्ज देने वाली कंपनियां हैं।